क्या सुनील जाखड़ को मनाने में नाकाम रही बीजेपी?

पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का पार्टी से कथित नाराजगी के कारण बैठकों से दूरी बनाना चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में चंडीगढ़ में आयोजित बीजेपी के सदस्यता अभियान और पंचायत चुनावों की अहम बैठक से भी सुनील जाखड़ ने दूरी बनाए रखी, जिससे पार्टी में उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

चंडीगढ़ बैठक से अनुपस्थिति ने बढ़ाई अटकलें

बीजेपी द्वारा आयोजित सदस्यता अभियान और आगामी पंचायत चुनावों पर चर्चा के लिए चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी। हालांकि, इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ की गैरमौजूदगी ने उनकी नाराजगी की अटकलों को हवा दी है। जाखड़ का इस तरह पार्टी की प्रमुख बैठकों से दूर रहना कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी वह पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

इस्तीफे की अफवाहों का सच क्या है?

कुछ समय पहले सुनील जाखड़ के इस्तीफे की खबरें भी सामने आई थीं। हालांकि, बीजेपी ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि जाखड़ ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है और पार्टी में सभी लोग मिल-जुलकर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद जाखड़ की चुप्पी और बैठकों से दूरी ने इन अफवाहों को मजबूती दी है।

जाखड़ की राजनीतिक यात्रा और बीजेपी में सफर

सुनील जाखड़ ने मई 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। कांग्रेस में लंबे समय तक अपनी राजनीतिक पारी खेलने के बाद, उन्होंने बीजेपी में अपनी नई शुरुआत की। एक साल बाद उन्हें पंजाब बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई महत्वपूर्ण चुनाव लड़े, लेकिन अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं कर सकी। जालंधर उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद, जुलाई में भी उनके इस्तीफे की खबरें आई थीं।

नाराजगी के संभावित कारण

सूत्रों के अनुसार, सुनील जाखड़ पार्टी में अपनी अनदेखी से खफा हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि जाखड़ चाहते थे कि बीजेपी, अकाली दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, लेकिन उनकी इस राय पर पार्टी ने ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, कांग्रेस से बीजेपी में आए रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय मंत्री पद और राज्यसभा टिकट मिलने से भी जाखड़ असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।

संदेश के माध्यम से जुड़े रहे जाखड़

हालांकि, इन तमाम अटकलों के बीच, सुनील जाखड़ ने पीएम नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देकर पार्टी से संवाद बनाए रखा। इससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह पार्टी के साथ बने रहेंगे या अपने अगले राजनीतिक कदम की योजना बना रहे हैं।

क्या जाखड़ की नाराजगी बीजेपी के लिए चुनौती बनेगी?

सुनील जाखड़ जैसे अनुभवी और लोकप्रिय नेता का पार्टी में असंतोष, पंजाब में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। आगामी पंचायत चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी के लिए यह जरूरी है कि वह जाखड़ की चिंताओं को समझकर उन्हें दूर करे।

निष्कर्ष:
सुनील जाखड़ की बैठकों से दूरी और उनकी चुप्पी ने पंजाब बीजेपी में हलचल मचा दी है। उनकी नाराजगी और पार्टी के प्रति उनका रुख आने वाले दिनों में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी नेतृत्व जाखड़ की चिंताओं का समाधान कर पाता है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *